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जैन में कृतज्ञता और निरन्तरता
संस्थागत नागरिकता
हम व्यवसाय सदैव सामाजिक मूल्यों पर करते रहे है। विश्वास है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति और पर्यावरण के महत्वपूर्ण और जोशपूर्ण समाज के स्तम्भ है। सामाजिक जिम्मेदारी के तहत दायित्व निर्वहन के लिये हम ने ‘जैन चेरिटीज’, लोक परोपकारी न्यास की 1982 में स्थापना की।यह न्यास धर्मनिरपेक्ष संगठन है और समाज के सभी वर्गों के चाहे ईसाई, हिन्दु, जैन, मुस्लिम या पारसी कोई भी हो, सबको मदद करता है। इस न्यास की जड़े ग्रामीण भारत में है। न्यास के न्यासी ग्रामवासी है। उन्हें उपेक्षित और पिछडे समाज की ओर विशेष ध्यान देने में विश्वास है। समाज के इन गतिमान, साहसी, स्तम्भों के साथ जैन चॅरिटी ने
निम्नानुसार लक्ष्य निर्धारित किये है।
• शिक्षा व साक्षरता में प्रगति. • चिकित्सा राहत, • खेल-कूद व शारिरिक तन्दुरुस्ती को प्रोत्साहन.
• सांस्कृतिक एंव अन्य सामाजिक गतिविधियों को आरंभ करने के लिये प्रोत्साहन. • पर्यावरण और ग्रामीण विकास में गतिशीलता
हमारा सम्पूर्ण जोर शिक्षा पर है और विशेषतः ग्रामीण एंव कृषि आधारित शिक्षा अन्य शिक्षण संस्थाओं में विशेष स्थान रखती है। दो ग्रामीण विद्यालय और एक कृषि महाविद्यालय की स्थापना ग्राम वाकोद में की गई है। अनुभूति आवासीय स्कूल और अनुभूति अंग्रेजी माध्यम स्कूल जलगाँव मे स्थापित है। हमारी विश्वविद्यालय स्थापना करने की भी योजना है। इस विश्वविद्यालय का मूल लक्ष्य दीर्घकालीन कृषि, स्वच्छ ऊर्जा, जल और खाद्य सुरक्षा पर होगा। अन्य शैक्षणिक गतिविधियों में विद्यार्थियों की, नई दुनिया में चुनौतियों को स्वीकार करने की योग्यता एंव क्षमता का विकास करना है। योग्यता के आधार पर समाज के सभी वर्ग छात्र और छात्राओं को देश और विदेश में शिक्षा प्राप्त करने के लिये छात्रवृत्ति भी दी जाती है।
- - एक प्राथमिक शाला की वाकोद में स्थापना
- - एक किन्डर गार्टन की शुरूवात मोहाडी अनुसंधान व विकास प्रक्षेत्र में की है (जहाँ छात्रों को मुफ्त गणवेश और पुस्तकें भी दी जाती है)
- - एक ज्युनियर कॉलेज की स्थापना जलगाँव में की है। (यह हमारी स्वर्गीय शेख नूर मुहम्मद चाचा को आदरांजली है, जो हमारे, शुरूवाती रचनात्मक समय में प्रेरणात्मक संबल थे)
- - चांदवड जि.नाशिक में एक पॉलिटेक्निक कॉलेज की स्थापना की है। यहाँ पर विद्यार्थियों राष्ट्रीय प्रतिभा खोज चयन परीक्षाओं PMT, JEE आदि के लिये मार्गदर्शन किया जाता है।
अनुभूति आवासीय स्कूल
अव्दितिय सह-शिक्षा आवासीय स्कूल, जैन इरिगेशन प्रवर्तित, भारतीय संस्कृति परस्पर निर्भरता और उद्दमिता पर आधारित स्कूल है। यह स्कूल कॉउन्सिल फॉर इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एक्झामिनेशन नई दिल्ली जोकि ISCE (कक्षा-10) और ISC (कक्षा-12) की परिक्षाओं का संचालन करती से सम्बद्ध हैं। संस्थापक का प्रतिपादन है कि अनुभूति का अभियान शिक्षण प्राप्त करने वाले और शिक्षण प्रदान करने वाले, दोनों के लिये सीखने का वातावरण और उत्कंठा निर्माण करे और एक अच्छे सामर्थ्यवान व चरित्रवान नागरिक बने। अनुभूति अपने अभियान को बुद्धिसम्पन्न समय परख प्रतिबद्धता व बहुआयामी भारतीय संस्कृति परस्पर निर्भरता की भावना, तेजस्वी उद्यमिता व वैश्विक नजरिये, सामाजिक ढाँचे में संरेखित पर्यावरण के प्रति जागरुक और संवेदनशील इन्सान बना कर प्राप्त करेगी। स्कूल को ‘विप्रो आर्थयन अवार्ड’ (विप्रो पृथ्वीय पुरस्कार) लगातार 2 वर्षों तक प्राप्त हुआ है। इस पुरस्कार में रु. 2 लाख नकद और भाग लेने वाले विद्यार्थियों को प्रमाणपत्र दिये जाते है।
अनुभूति इंगलिश मिडियम स्कूल
अनुभूति इंगलिश मिडीयम स्कूल की संकल्पना डॉ. भंवरलाल जैन ने की थी और स्थापना जलगाँव में समाज के अत्यधिक पिछडे गरीबी रेखा के नीचे और वंचित वर्ग के बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा प्राप्त करवाना है। यह स्कूल 11 जुलाई 2011 को 180 विद्यार्थियों से आरम्भ हुआ और आज इस स्कूल में 330 विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे है। विद्यार्थियों की अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा की कोई पृष्ठभूमि नहीं है। प्रति वर्ष विद्यार्थी सफल होकर अगली कक्षा में प्रवेश लेते है और स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या में वृद्धि हो रही है।
इस स्कूल में साधारण सुविधाओं से भी वंचित बच्चों को उच्चस्तरीय शिक्षा, सर्वोत्तम स्कूल में उपलब्ध सुविधाओं के समान प्रदान की जाती है। क्लास रूम में बच्चों के लिये विशेष डिझाइन वाला फर्निचर व सुविधायें उपलब्ध कराई जाती है। बच्चों में उनकी स्वयं की वस्तुओं और सामाजिक जिम्मेदारियों की भावना निर्माण होती है। यह अनुभूति के शैक्षणिक सिद्धांतो के अनुरूप है। जिस से वैयक्तिकता की सीमाएँ समाप्त होकर परस्पर निर्भरता की भावना जागृत होती है।
एक सर्वश्रेष्ठ पुस्तकालय भी उपलब्ध है। बच्चों को पत्रिकाएँ व पुस्तके उपलब्ध कराई जाती है। अन्य सह-पाढ्यक्रम गतिविधियों में संगीत, नृत्य, ललित कलाएँ आदि स्कूल कार्य का हिस्सा है। उन्हें परिधान, गणवेश, पुस्तकें, शैक्षणिक साहित्य व चिकित्सा सुविधायें भी उपलब्ध कराई जाती है।
अनुभूति आवासीय स्कूल के सामाजिक उपयोगी उत्पादन कार्य दायित्व के तहत वरिष्ठ विद्यार्थी, अनुभूति अंग्रेजी माध्यम स्कूल में भेट देकर वहाँ के बच्चों से वार्तालाप करते है। दोनो समूह के विद्यार्थी-गण मनोरंजक कार्यक्रम एक दूसरे को प्रस्तुत करते है। समाज के विभिन्न वर्गों के व स्तर के बच्चों को एक प्लेटफॉर्म पर लाकर परस्पर सहयोग की भावना जागृत करके सकारात्मक सामाजिक और आर्थिक जटिलताएँ, जब बच्चे बडे हो जावेगें, दूर करने में सहायक होगी।
a) चिकित्सा :
- एक औषधालय बनाया गया है।
- चिकित्सा शिबिर लगातार आयोजित किये जाते है
- परिसंवाद और चर्चा शिबिर, वैकल्पिक चिकित्साएँ जैसे आयुर्वेद, होमियोपॅथी आदि के सन्दर्भ में आयोजित किये जाते है।
- भविष्य में सहयोग के लिये डाटा बेंक बनाने के लिये सर्वे का आयोजन किया गया।
- आधुनिक जिम्नेशियम की स्थापना
- स्वास्थ्य शिक्षा पर नियमित कोर्सेस
- पारम्परिक और प्राचीन भारतीय खेलो की प्रतिस्पर्धाएँ समय समय पर आयोजित।
- 10 वर्षों से कम आयु के बच्चों को राज्य/राष्ट्रीय स्तर की खेलकूद प्रतियोगिताओं के लिये तैयार करने के लिये अपनाना।
जैन स्पोर्ट्स अकादमी
जैन स्पोर्ट्स अकादमी, खेलकूद व स्वास्थ्य शिक्षा के कोचिंग कोर्स संचालित करती है। खेलकूद प्रतियोगिताओं जैसे खो-खो, वॉलीबॉल, टेबल टेनिस, बॅडमिंटन, तैराकी, क्रिकेट, ट्रेकिंग, सायकल रेसिंग, स्केटिंग, मेराथन, कैरम, बास्केटबॉल, फूटबॉल आदि का आयोजन भी अकादमी द्वारा किया जाता है। 15 वर्ष से कम आयु के बालक-बालिकाओं के लिये प्रशिक्षण कॅम्प भी लगाये जाते है। जिससे की उनका राष्ट्रीय/ प्रादेशिक स्तरीय प्रतियोगिताओं में चयन की संभावना बन सके। अकादमी द्वारा वर्ष 2012-13 में भुसावल रेल्वे स्टेडियम में हुये रंजी ट्रॉफी क्रिकेट मैच को प्रायोजित किया गया था।
विभिन्न खेलकूद में अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व
अक्षय देवलकर (बेडमिंटन), अक्षय दरेकर (क्रिकेट), विवेक अलवानी (टेबल टेनिस), प्रतीक पाटील एंव भाग्यश्री पाटील (शतरंज) ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अकादमी का प्रतिनिधित्व किया।
- शहर में होने वाले मुख्य सामाजिक कार्यक्रमों में सहयोग/आयोजन इन में परिसंवाद, युवा महोत्सव, वैवाहिक परिचय सम्मेलन व्यसनमुक्ति शिबिर, दिव्यांग व्यक्तियों की सहायता आदि।
- वाकोद में सामुदायिक भवन का निर्माण।
गांधी रिसर्च फाउन्डेशन
जैन इरिगेशन के द्वारा गांधी जी के मूल्यों को अन्तर्निविष्ट करने के उद्देश्य से गांधी रिसर्ज फाउन्डेशन की स्थापना की। वर्ष 2012-13 में महाराष्ट्र के स्कूल, कॉलेज के 1,00,953 विद्यार्थियों ने गांधी विचार धारा विषय पर आयोजित परीक्षा में भाग लिया। दि. 02.01.2013 को डॉ. राजेन्द्र पचौरी ने, आज के विश्व में गांधीयन सिद्धांत की दीर्घ कालीन सार्थकता विषय पर गांधी तीर्थ के सभागृह में भाषण दिया। लगभग 45000 विद्यार्थियों और 5000 कृषकों को आधुनिक कृषि कार्यप्रणाली से रूबरू कराया गया। ग्रामीणों को गांधीजी के आदर्शों एंव मूल्यों के बारे में शिक्षित करने के लिये गांधी रिसर्च फाउन्डेशन द्वारा खान्देश में कृषि प्रबोधन यात्रा आयोजित की गई। गांधीजी के आदर्शों को गांवो तक पहुंचाने के लिये बाल विकास प्रबोधन शिबिर ग्राम वाकोद, शिरसोली और कढ़ोली में आयोजित किये गये। गांधीजी के जीवन पर आधारित गांधी संग्रहालय गांधी तीर्थ में, गांधी रिसर्च फाउन्डेशन द्वारा आरम्भ किया है। वर्ष 2013-14 में 34838 दर्शकों ने संग्रहालय का अवलोकन किया। गांधी रिसर्च फाउन्डेशन के अन्य कार्यक्रमों में वाकोद में आयोजित ग्राम स्वच्छता अभियान, वरिष्ठ नागरिक सन्मान कार्यक्रम, अहिंसा प्रबोधन यात्रा, कढ़ोली सडक निर्माण, टाकरखेड़ा जलसंग्रहण परियोजना, और कन्या महाविद्यालय शिरसोली का समावेश है।
कान्ताई बांध
कम्पनी ने एक मार्गदर्शक पब्लिक प्रायवेट पार्टनरशीप (PPP) (महाराष्ट्र में अपने प्रकार की सर्व प्रथम) में बगैर भूमि अधिग्रहण या शासकीय निर्गम के क्षेत्रीय लाभ हेतु आधारभूत संरचना बनाने के लिये संकल्पमय प्रवेश किया।
यह बांध (ऑक्टोबर 2013 में उद्घाटित) परिदृश्य बदलने वाला सिद्ध हुआ है। (1) कम्पनी ने इस परियोजना को सीमित संसाधनों से साधारण लागत से आधे खर्च, और आम तौर पर लगने वाले समय से एक चौथाई समय में पूर्ण किया। फलस्वरूप बांध से प्राप्त होने वाले समग्र लाभ, आरम्भ होने के पहले ही वर्ष में संभवतः आशा से अधिक हो सके है।
जैन इरिगेशन (वैधानिक रूप से एकत्रित जल की 50% मात्रा का उपयोग कर सकेगा) निवेशित राशि का मुनाफा केवल पानी लेने से (वृद्धित उत्पादन की गणना नहीं) आरंभ होने के तीन वर्षों में हो जावेगी (2) बांध के आस-पास के परिसर की एक वर्ग फीट जमीन भी डूब में नहीं आई जबकि साधारणतया पर्यावरणविद उसी डर से भयभीत करते है। (3) बांध से, लघु और मध्यम वर्ग के करीब 1200 कृषकों (औसतन 2 से 12 एकड़ जमीन वाले) की 4000 एकड़ जमीन उपजाऊ और समृद्ध हुई है। एक बात मेरे मष्तिष्क में बैठ गई है कि परियोजना जिसकी कार्यावधि 100 वर्ष से अधिक है, से 100 गुना से भी अधिक प्रत्यक्ष लाभ परोक्ष लाभों की गणना, विपरित प्रवसन, वृद्धित आर्थिक खपत अपेक्षित है। यदि यह रु. 10 करोड़ से एक क्षेत्र में हो सकता है तो यह पूछना प्रासंगिक होगा कि जब हजारों करोड रूपये जो कि देश भर में विकास के नाम पर आवंटित होते है उनका क्या होता है।
(अ) सांस्कृतिकः
- नाटक, प्रहसन प्रायोजन
- गीत संगीत प्रतिस्पर्धाएँ
- नृत्य, लोकनृत्य प्रतिस्पर्धाएँ
- कवि सम्मेलन, मनोरंजन मेला आयोजनों मे सहायता
(ब) धार्मिकः
- मंदिर (Temple) दरगाह (Tomb) नवीनीकरण/ सुधार
- स्थानक (जैन संतों का निवास/ धर्मशाला का निर्माण)
- प्रख्यात विचारकों के उपदेशों/ व्याख्यानों का आयोजन
(ड) अध्यात्मिकः
- लोकोत्तर चिंतन, ध्यान और योग के कार्यक्रमों का आयोजन
- पर्यावरण के प्रति जागरुकता, शिक्षा, मार्गदर्शन के लिये जैन व्हैली के निरिक्षण का आयोजन
- बंजर और अनुपजाऊ जमीन को उपजाऊ बनाना
- अभयारण्य विकास (Sanctuary)
- वन रोपण के लिये पौधों का वितरण
- शहर के यातायात चौराहों और बगीचों के रखरखाव के द्वारा स्वच्छता संदेश प्रसार।
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